दर्द ऐसा है कि होता नहीं ज़ख्मों का शुमार।
कौन कर सकता है टूटे हुए रिश्तों का शुमार।
*******
यादें आती है तो ये सिलसिला थमता ही नहीं,
ज़हने-इन्सान से मुमकिन नहीं यादों का शुमार।
*******
ज़िन्दगी मिस्ल किताबों के है पढ़कर देखो,
इस कुतुबखाने में होता नहीं सफ़हों का शुमार।
*******
तुम गिरफ़्तारे-बला कब हो, तुम्हें क्या मालूम,
किस तरह होता है नाकर्दा गुनाहों का शुमार।
*******
इह्तिजाजात में पैसों की है ताक़त का नुमूद,
भीड़, बस करती है मासूम गरीबों का शुमार।
*******
पाँव के आबलों में कूवते-गोयाई नहीं,
किसको है फ़िक्र, करे राह के काँटों का शुमार।
**************
2 टिप्पणियां:
बिल्कुल सही लिखा । बधाई
पाँव के आबलों में कूवते-गोयाई नहीं,
किसको है फ़िक्र, करे राह के काँटों का शुमार।
-बहुत बढिया.
एक टिप्पणी भेजें