शनिवार, 23 अगस्त 2008

मैं मुसलमान हूँ / शैलेश ज़ैदी

मैं मुसलमान हूँ
पर उसी देश की मैं भी संतान हूँ
आँख खोली है तुमने जहाँ

तुम मेरा घर जलाने की इच्छा से आए हो
आओ जला दो इसे
ईंट-गारे की दीवारें
'अल्लाहो-अकबर' के नारे लगातीं नहीं
शंख की गूँज हो
या अजानों की आवाज़ हो
घर की दीवारों पर
इनके जादू का होता नहीं कुछ असर

मेरे घर में किताबों के कमरे में
कुरआन के साथ गीता भी रक्खी हुई है
और हदीसों की जिल्दों के पहलू में
वेदान्त के भाष्य भी हैं

तुम मेरा घर जलाने की इच्छा से आए हो
आओ जला दो इसे
मैं मुसलमान हूँ !
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[अलीगढ़/1965]

2 टिप्‍पणियां:

डॉ .अनुराग ने कहा…

शैलेश जैदी साहेब से कहियेगा आज ndtv पर नसीरुद्दीन साहेब का इंटरव्यू देख ले ...शायद दुबारा टेलीकास्ट हो .....

कुश ने कहा…

ज़ैदी साहब से कहिए की क़ुरान और गीता धार्मिक ग्रंथ है.. कृपया उन्हे किताबो के बीच ना रखे किसी पवित्र जगह पर रखे..