रविवार, 24 अगस्त 2008

दायरा / मुस्तफ़ा शहाब

एक बूढा सा तनावर पीपल
जिसके साए में सड़क जाती है
वो उसी पेड़ के नीचे से हमेशा अपना
सर झुकाए हुए चुप-चाप गुज़र जाता है.

उसने ये भी नहीं मालूम किया
के हरेक शाख पे उस पीपल की
ज़िन्दगी और भी शक्लों में रहा करती है
कई पत्ते, कई कीडे, कई चिड़ियाँ, कई साँप

कीडे पत्तों को चबा जाते हैं
चिड़ियाँ कीडों को पकड़ लेती हैं
साँप चिडियों को निगल जाते हैं
और पीपल नये पत्तों को जनम देता है.

वो कभी सुब्ह, कभी शाम ढले
उस घने पेड़ के नीचे से हमेशा अपना
सर झुकाए हुए चुप-चाप गुज़र जाता है
कभी दफ्तर, कभी घर जाता है.
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14 द गार्डेन्स पिनर मिडिलसेक्स
एच. ए. 5 डी. डब्ल्यू. युनाइटेड किंगडम.

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