लज्ज़ते-जिस्म की हर क़ैद से आजाद हैं ख्वाब।
जिंदा ज़हनों के शबो-रोज़ की रूदाद हैं ख्वाब।
आसमानों से उतर आते हैं खामोशी के साथ,
पैकरे-हुस्ने-मुजस्सम हैं, परीज़ाद हैं ख्वाब।
सामने आंखों के हों या हों नज़र से ओझल,
दिल में हर शख्स के, हर गोशे में आबाद हैं ख्वाब।
मेरी नज़रों में है दुनिया की तरक्की इनसे,
नौए-इंसान के इदराक की ईजाद हैं ख्वाब।
हम भी रह जायेंगे कल सिर्फ़ धुंधलकों की तरह,
जिस तरह आज हमारे लिए अजदाद हैं ख्वाब।
कभी लगता है कि हैं ख्वाब परिंदों की तरह,
कभी महसूस ये होता है कि सैयाद हैं ख्वाब।
वक़्त के साथ बदल जाता है दुनिया का मिज़ाज,
मुझको 'जाफ़र' मेरे बचपन के सभी याद हैं ख्वाब।
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6 टिप्पणियां:
बहुत बढिया.
kya bat hai khwabon kee.
कभी लगता है कि हैं ख्वाब परिंदों की तरह,
कभी महसूस ये होता है कि सैयाद हैं ख्वाब।
"wah what a expression"
Regards
कभी लगता है कि हैं ख्वाब परिंदों की तरह,
कभी महसूस ये होता है कि सैयाद हैं ख्वाब।
बहुत दिलकश ग़ज़ल है...
बहुत बेहतरीन गज़ल है।
हम भी रह जायेंगे कल सिर्फ़ धुंधलकों की तरह,
जिस तरह आज हमारे लिए अजदाद हैं ख्वाब।
सामने आंखों के हों या हों नज़र से ओझल,
दिल में हर शख्स के, हर गोशे में आबाद हैं ख्वाब।
मेरी नज़रों में है दुनिया की तरक्की इनसे,
नौए-इंसान के इदराक की ईजाद हैं ख्वाब।
fantastic mindblowing
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