हमें अपने पड़ोसी से शिकायत बेसबब क्यों हो.
मिले वो प्यार से तो दिल में नफ़रत बेसबब क्यों हो.
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ये दहशत-गर्दियाँ उसके अगर क़ाबू से बाहर हैं,
तो उसके साथ कोई भी मुरौवत बेसबब क्यों हो.
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हमें तक़सीम जो कर दें वो रहबर हो नहीं सकते,
हमें उन रहबरों से फिर अकीदत बेसबब क्यों हो.
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न काम आयीं किसी लमहा करिश्मा-साज़ियाँ उसकी,
वो ऐसा हो न गर, उससे बगावत बेसबब क्यों हो.
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न हो कुछ भी अगर उस दिलरुबा, गुंचा-दहन बुत में,
सभी की उसपे यूँ मायल तबीयत बेसबब क्यों हो.
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नवाजिश बे-गरज करता नहीं इस दौर में कोई,
तो फिर ये आपकी चश्मे-इनायत बेसबब क्यों हो.
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मिले वो प्यार से तो दिल में नफ़रत बेसबब क्यों हो.
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ये दहशत-गर्दियाँ उसके अगर क़ाबू से बाहर हैं,
तो उसके साथ कोई भी मुरौवत बेसबब क्यों हो.
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हमें तक़सीम जो कर दें वो रहबर हो नहीं सकते,
हमें उन रहबरों से फिर अकीदत बेसबब क्यों हो.
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न काम आयीं किसी लमहा करिश्मा-साज़ियाँ उसकी,
वो ऐसा हो न गर, उससे बगावत बेसबब क्यों हो.
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न हो कुछ भी अगर उस दिलरुबा, गुंचा-दहन बुत में,
सभी की उसपे यूँ मायल तबीयत बेसबब क्यों हो.
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नवाजिश बे-गरज करता नहीं इस दौर में कोई,
तो फिर ये आपकी चश्मे-इनायत बेसबब क्यों हो.
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1 टिप्पणी:
भारत-पाकिस्तान के बीच झग़डा करवाने और तनाव बढाना अमेरीकी विदेश-निती का निर्देशक-सिद्धांत है। और हम देख रहे है की वेटीकन की एजेंट सोनिया और उसके वफादार मनमोहन ने इसके लिए क्या नही किया। वह मुसलमानो का हित साधन का नाटक तो करते है लेकिन उनकी भलाई नही। उनका एक मात्र उद्देश्य हिन्दु और मुसलमानो मे घृणा फैला कर वोट पाना है। हिन्दु-मुसलमान एवम भारत-पाकिस्तान मित्रता के लिए दोनो कट्टरपंथियो को खुल कर सामने आना होगा।
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