करूँ अर्ज़े-तमन्ना वो इजाज़त दे अगर मुझको।
अता की उसने आख़िर क्यों तमीजे-खैरो-शर मुझको।
उसूलों पर रहा क़ायम तो क़ीमत भी चुकाई है,
मिली है कैदखानों में अज़ीयत किस कदर मुझको।
ग़लत राहों पे ले जाने की कोशिश सबने कर डाली,
मिले वक़्तन-फ़वक़्तन कैसे-कैसे राहबर मुझको।
किसी के साथ रिश्तों में दरारें पड़ नहीं पायीं,
न कस पाये शिकंजों में किसी पल मालो-ज़र मुझको।
मैं चाहूँगा तुम्हारी हसरतें तशना न रह जाएँ,
कोई साज़िश करो ऐसी चढ़ा दो दार पर मुझको।
ज़मीनों ने दिये इखलास से तखलीक के जौहर,
समंदर ने अता कीं वुसअतें दिल खोलकर मुझको।
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1 टिप्पणी:
bahot khub bahot bahot badhai aapko ,behatarin gazal ke liye,........
arsh
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