सोमवार, 17 नवंबर 2008

गिरफ़्तारी पे उसकी इस क़दर बेचैनियाँ क्यों हैं.

गिरफ़्तारी पे उसकी इस क़दर बेचैनियाँ क्यों हैं.
अभी मुजरिम वो साबित कब हुआ, नौहा-कुनाँ क्यों हैं.
*******
न लेगा आपसे जब मशविरा तफ़तीश में कोई,
तो फिर तफ़तीश को लेकर सभी से सर-गरां क्यों हैं.
*******
वतन पर जान देना आपका पैदाइशी हक़ है,
अगर सच है, वतन-दुश्मन पे इतने मेहरबाँ क्यों हैं.
*******
ज़ईफी आ गई वेदों की शक्लें तक नहीं देखीं,
तअल्लुक़ जब नहीं वेदों से, उन पर शादमाँ क्यों हैं.
*******
कलीसाओं पे हमले करना क्या मज़हब सिखाता है,
अगर ऐसा नहीं है, उनसे इतने बदगुमाँ क्यों हैं.
*******
दलित हों या मुसलमाँ या वो सिख हों या हों ईसाई,
सभी के साथ तनहा आप ही ईज़ा-रसां क्यों हैं.
**************

1 टिप्पणी:

Dr. Amar Jyoti ने कहा…

बहुत सटीक।
'जिन्हें नाज़ है हिन्द(हिन्दुत्व पर) पर वो कहां हैं?'