युगों का साक्ष्य देकर कह रहा हूँ मैं
कि है सम्पूर्ण मानव-जाति घाटे में
बचे हैं बस वही,प्रतिबद्ध जिनकी आस्थाएं हैं
सजग हैं कर्म के प्रति जो
ह्रदय की पूरी निष्ठा से
किसी क्षण जो, कभी सच्चाइयों के मार्ग से
विचलित नहीं होते
परिस्थितियाँ भले प्रतिकूल हों,
जो धैर्य मन का खो के, उत्तेजित नहीं होते
युगों का साक्ष्य देकर कह रहा हूँ मैं
कि ऐसे लोग,
घाटों से कभी ग्रंथित नहीं होते.
*****************
सोमवार, 16 जून 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें