रविवार, 14 फ़रवरी 2010

नज़र में हर सम्त बस उसी की है जलवासाज़ी

नज़र में हर सम्त बस उसी की है जलवासाज़ी।
ये दुनिया इन्साँ की ज़िन्दगी की है जलवासाज़ी॥

फ़रेफ़्ता अपने हुस्न पर है वुजूद उसका,
निगारिशे-दोजहाँ, ख़ुदी की है जलवा साज़ी॥

तमाम अशया के सीनों से फूटते हैं नगमे,
किसी के हुस्ने-सुख़नवरी की है जलवासाज़ी॥

ख़याल-आरास्ता हैं नक़्शो-निगारे-ग़ालिब,
वो मीर हैं जिनमें सादगी की है जलवासाज़ी॥

सुनो ये आफ़ाक़-लब हक़ीक़त का है फ़साना,
उफ़क़-उफ़क़ साज़े-दिलबरी की है जलवासाज़ी॥
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हर सम्त=प्रत्येक दिशा, जलवसाज़ी=सौन्दर्यपूर्ण उपस्थिति, फ़रेफ़्ता=मुग्ध, वुजूद=अस्तित्त्व,अशया=वस्तुएं, हुस्ने-सुख़नवरी=काव्य-सौन्दर्य,ख़याल-आरास्ता=कल्पनासे सुसज्जित, नक़्शो-निगार=चित्रांकन, आफ़क़-लब-हक़ीक़त=विश्वमुखर सत्य,उफ़क़=क्षितिज, नायिकत्त्व-युक्त वाद्य

1 टिप्पणी:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

उर्दू के शब्दों का अर्थ भी साथ दे देते तो समझने मे आसानी होती....धन्यवाद।