परिचय
नाज़िम हिकमत ( 1902-1963 ) टर्की के सर्व-श्रेष्ठ कवि थे. उनकी अधिकांश रचनाएं कारागार की चहारदीवारियों में ही लिखी गयीं. उनकी काव्य रचनाओं के अंग्रेज़ी अनुवाद बड़ी संख्या में उपाब्ध हैं.एलन बोल्ड, रैंडी ब्लासिंग और जोन बर्गर के अनुवाद विशेष उल्लेख्य हैं. उनकी कविताओं में अनुभवों का जुझारूपन, जीवंतता की चमक और ज्योमितीय कम्पास का गुण है. उनकी प्रेम कविताएं पत्नी को संबोधित कर के लिखी गई हैं. कारगर उनकी दृष्टि में क्या है, देखिये-
उन्होंने हमें बंदी बना लिया है,
हमें सलाखों के पीछे डाल दिया है,
मैं ऊंची दीवारों के भीतर हूँ और तुम बाहर
किंतु इस से क्या होता है.
बुरी स्थिति तो वह है
जहाँ लोग जान-बूझ कर या अनजाने
मेंअपने भीतर कारावास जीते हैं.
अधिकांश लोगों को इसके लिए बाध्य कर दिया गया है.
बेचारे ईमानदार, परिश्रमी और अच्छे लोग !
वो उतना ही प्यार के अधिकारी हैं
जितना मैं तुम्हें प्यार करता हूँ.
नाजिम हिकमत ने आने वाली पीढियों को विशेष रूप से बच्चों को बड़े ही सकारात्मक सुझाव दिए हैं और इच्छा व्यक्त की है कि वो अपने स्वर्ग का निर्माण ख़ुद करें-
ठीक है, तुम खूब शरारतें करो,
दीवारों और ऊंचे वृक्षों पर चढो,
अपनी साइकलों को जिधर चाहो घुमाओ-फिराओ,
तुम्हारे लिए यह जानना अनिवार्य है
कि तुम इस काली धरती पर
किस प्रकार बना सकते हो अपना स्वर्ग
तुम चुप करदो उस व्यक्ति को
जो तुम्हें पढाता है कि यह सृष्टि
आदम से प्रारम्भ हुई
तुम्हें धरती के महत्त्व को स्वीकारना है.
तुम्हें विश्वास करना है कि धरती शाश्वत है.
अपनी माँ और धरती माँ में कभी भेद मत करना
इस से उतना ही प्यार करना
जितना अपनी माँ से करते हो.
यहाँ पाठकों के लिए प्रस्तुत की जाती है नाजिम हिकमत की अन्तिम कविता शव -
क्या मेरे शव को ले जाया जायेगा नीचे अपने आँगन से ?
तुम कैसे उतारोगे मेरे ताबूत को तीन मंजिल नीचे ?
लिफ्ट में वह समाएगा नहीं
और सीढियां बहुत संकरी हैं
आँगन में होगी थोडी सी धूप
और होंगे कबूतर और बच्चों की चील-पों
फर्श हो सकता है चमकता हो बारिश में
और कूड़े-दान पड़े हों इधर-उधर बिखरे
अगर यहाँ की रीतियों के अनुसार मैं यहाँ से गया
चेहरा आसमान की ओर खुला हुआ
कोई कबूतर मुझ पर बीट कर सकता है
जो कि एक शगुन है
बैंड-बाजा यहाँ पहुंचे न पहुंचे
बच्चे ज़रूर आयेगे मेरे पास, मेरे निकट
बच्चों को पसंद हैं शव-यात्राएं
जब
निकलेगा मेरा शव
तो किचन की खिड़की मुझे ताकती होगी
बालकनी में सूखते कपड़े
हिलते हुए करेंगे मुझे बिदा
मैं यहाँ खुश था
कल्पनातीत खुशी थी मेरे पास
मित्रो ! तुम सब जियो लम्बी उम्र
और जीवन पर्यन्त रहो सुखी.
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1 टिप्पणी:
तुम्हारे लिए यह जानना अनिवार्य है
कि तुम इस काली धरती पर
किस प्रकार बना सकते हो अपना स्वर्ग
इस तरह की सकारात्मक सोच इतनी सरलता से नाजिम हिक़मत जैसे कवि ही व्यक्त कर सकते हैं
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