मंगलवार, 16 मार्च 2010

इस राह में है तेज़ हवाओं का सामना

इस राह में है तेज़ हवाओं का सामना।
करना है इस जहाँ के ख़ुदाओं का सामना॥

निकले थे घर से देख के मौसम को ख़ुशगवार,
जब कुछ बढे, था काली घटाओं का सामना॥

मुमकिन नहीं के तोड़ दें हमको मुसीबतें,
हम कर चुके हैँ कितनी बलाओं का सामना॥

मिटटी में है हमारी बहोत बावफ़ा ख़मीर,
हँसते हुए करेंगे जफ़ाओं का सामना॥

ज़ाहिद भी डगमगाने लगे क्यों न राह से,
करना पड़े जो तेरी अदाओं का सामना॥

शायद न कर सकेगी कभी फ़िरक़ावारियत,
औलादें खो चुकी हुई माओं का सामना॥
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1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

इस राह में है तेज़ हवाओं का सामना।
करना है इस जहाँ के ख़ुदाओं का सामना॥

-बहुत खूब!