वहाँ गुलाबी हवाओं के पैरहन की खुशबू की /
इत्र-बेजी से हैं मुअत्तर/
मगन-मगन रस-भरी फिजायें /
वहाँ सुनहरे लिबास पर/
दीदाजेब याकूत से जड़े जेवरात/
खुशरंग तितलियों के सेहर से /
अपने दिलों में हलचल मचा रहे हैं,/
वहाँ नहा-धो के सुबह से ही /
शागुफ्ता खुर्शीद की बरहना बदन शुआयें /
हरे-भरे नग्मा-रेज़ अश्जार की फसीलों पे/
बे-झिझक रक्स कर रही हैं/
वहाँ तबुस्सुम-मिजाज, खुश-जौक, जिंदा-अफराद/
खुश-खिरामी के साथ तकरीब-ऐ-बा-सआदत की /
मह्फिले-पुर-हयात में महवे-गुफ्तुगू हैं/
वहाँ मेरी ज़िंदगी का एक बावकार टुकडा/
है मर्कज़े-बज्मे-शादमानी /
वहाँ किताबे-हयात पर वक़्त लिख रहा है/
मुहब्बतों से भरे दिलों की नई कहानी ।/
यहाँ मैं अपने पलंग पर एक लिहाफ में/
लेटा-लेटा हर लहजा सोचता हूँ/
वहाँ अगर आज मैं भी होता/
तो ज़िंदगी अपनी सुर्खरूई के देखती ताब्नाक जलवे ।
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