सोमवार, 5 अप्रैल 2010

बत्ने-मादर से ही बे-नूर हुआ था पैदा

बत्ने-मादर से ही बे-नूर हुआ था पैदा।
लोग कहते हैं के मजबूर हुआ था पदा॥

हक़ अगर कहता है कोई तो तहे-तेग़ करो,
जाने किस वक़्त ये दस्तूर हुआ था पैदा ॥

क़ल्बे-मूसा को भी शायद मेरा इरफ़ान न था,
मैं तजल्ली हूं लबे-तूर हुआ था पैदा॥

तू-ही-तू सिर्फ़ नज़र आया था मुझको हर सू,
जिस घड़ी ये दिले-रंजूर हुआ था पैदा॥

अर्श से देख के है तेरी ज़मीं कितनी बलन्द,
मैं तेरा हुस्न हूं मग़रूर हुआ था पैदा॥
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بطن مادر سے ہی بے نور ہوا تھا پیدا
لوگ کہتے ہیں کہ مجبور ہوا تھا پیدا
حق اگر کہتا ہے کوئی تو تھ تیغ کرو
جانے کس وقت یہ دستور ہوا تھا پیدا
قلب موسیٰ کو بھی شاید مرا عرفان نہ تھا
میں تجلی ہوں لب طور ہوا تھا پیدا
تو ہی تو صرف نظر آیا تھا مجھ کو ہر سو
جس گھڑی یہ دل رنجور ہوا تھا پیدا
عرش سے دیکھ کہ ہے تیری زمین کتنی بلند
میں ترا حسن ہوں مغرور ہوا تھا پیدا
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बत्ने-मादर=माँ के पेट । बेनूर=अंधा । हक़=सत्य । तहे-तेग़=तलवार के नीचे रखना/क़त्ल कर देना । क़ल्बे मूसा=मूसा के हृदय [हज़रत मूसा यहूदियों और मुसल्मानों के नबी हैं।तूर नामक पहाड़ पर उन्होंने अल्लाह को देखने की इच्छ व्यक्त की और जब वहा>ण एक प्रकाश फूटा [तजल्ली] तो वो उसे बर्दाश्त न कर सके और मूर्च्छित हो गये]। दिले-रजूर=दुखी हृदय । अर्श=अल्लाह का सिंहासन ।