सोमवार, 12 अप्रैल 2010

ब्लाग की दुनिया है कितनी ख़ुश-नसीब

ब्लाग की दुनिया है कितनी ख़ुश-नसीब।
हो गये यकजा सभी लेखक-अदीब्॥
आ गये इस में सियासत दान भी।
हो गये जारी नये फ़र्मान भी॥
फ़िल्म वाले कैसे रह जाते ख़मोश्।
आ गये वो भी उड़ाने सबके होश्॥
रक़्सो-मौसीक़ी ने बदलीं कर्वटें।
सब ने कीं महसूस उनकी आहटें॥
सोते मुल्ला और पन्डित क्यों भला।
धर्म का बाज़ार ठण्डा था पड़ा।
फ़िर्क़ा-वारीयत की भर लाये शराब्।
ख़ून की गर्मी थी उनमें लाजवाब्।
हो गयीं मक़बूल दहशत-गर्दियाँ।
बन गयीं मामूल दहशत-गर्दियाँ॥
मुल्क में राइज ज़बानें हैं कई।
आ गयीं सब ज़िन्दगी भर कर नई॥
सबके अपने-अपने कितने ब्लाग हैं।
अपना है संगीत अपने राग हैं॥
ब्लाग की दुनिया को देता हूं दुआ।
इसके फलने-फूलने में है भला॥
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