ग़ज़ल / शैलेश ज़ैदी / वो कभी इतिहास लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
ग़ज़ल / शैलेश ज़ैदी / वो कभी इतिहास लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 14 जनवरी 2009

वो कभी इतिहास को पढ़ता नहीं.

वो कभी इतिहास को पढ़ता नहीं.
इसलिए कुछ झूठ-सच गढ़ता नहीं।

*******
इस सदी में भी वो कितना मूर्ख है,
दोष औरों पर कभी मढ़ता नहीं।

*******
झूठ को दुहराते रहिये बार-बार,
सच भी उसकी तर्ह सिर चढ़ता नहीं।

*******
हौसले हो जाते हैं जिसके शिथिल,
थक के फिर आगे कभी बढ़ता नहीं।

*******
बेल-बूटे काढते थे जो कभी,
आज उन हाथों से कुछ कढता नहीं।

**************