सुना है उसके शबो-रोज़ उससे पूछते हैं।
जहाँ में उसके हैं क्या क्या करिश्मे पूछते हैं॥
सुना है उसको ग़ुरूर अपने हुस्न पर है बहोत,
हमी नहीं, उसे दिन रात कितने पूछते हैं॥
सुना है उसके ही जलवे हैं सारे आलम में,
रुमूज़े-इश्क़ है क्या ज़र्रे-ज़र्रे पूछते हैं॥
सुना है रातों को भी नीन्द उसे नहीं आती,
जभी तो उसको हमेशा उजाले पूछते हैं॥
सुना है सारे गुनाहों को बख़्श देता है,
करीम है वो जभी उसको बन्दे पूछते हैं॥
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