लौट कर आयी थी यूं मेरी दुआ की ख़ुश्बू ।
दिल को महसूस हुई उसकी सदा की ख़ुश्बू॥
रेग़ज़ारों में नज़र आया जमाले-रुख़े-यार,
कोहसारों में मिली रंगे-हिना की ख़ुश्बू॥
हम ने देखा है सराबों में लबे-आबे-हयात,
माँ की शफ़्क़त में है मरवाओ-सफ़ा की ख़ुश्बू॥
लज़्ज़ते-हुस्न की मुम्किन नहीं कोई भी मिसाल,
लज़्ज़ते-हुस्न में होती है बला की ख़ुश्बू॥
पलकें उठ जयें तो बेसाख़्ता बिजली सी गिरे,
पलकें झुक जायें तो भर जाये हया की ख़ुश्बू॥
हुस्ने-मग़रूर पे छा जाये मुहब्बत का ख़ुमार,
दामने-इश्क़ से यूं फूटे वफ़ा की ख़ुश्बू॥
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रेगज़ारों=मरुस्थलों, जमाले-रुखे-यार=महबूब का रूप-सौन्दर्य,
कोहसारों=पहाड़ों, रंगे-हिना=मेहदी का रग, लज़्ज़ते-हुस्न=सौन्दर्य का आस्वादन, बे-साख्ता=सहज,
हुस्ने-मगरूर=घमंडी सौन्दर्य,