श्याम से गर जुड़ा नहीं होता.
दिल किसी काम का नहीं होता.
तुमको ऊधव किसी से प्रेम नहीं,
वर्ना ये सिलसिला नहीं होता.
उस से आँखें अगर नहीं मिलतीं,
रात दिन जागना नहीं होता.
कैसे माखन चुरा लिया उसने,
ग्वालनों को पता नहीं होता.
वो नहीं तोड़ता कभी गागर,
जब भी पानी भरा नहीं होता.
छोड़कर वो अगर नहीं जाता,
जीना यूँ बे-मज़ा नहीं होता.
पैदा गोकुल में जब न होना था,
जन्म हम ने लिया नहीं होता.
*****************
Sunday, June 28, 2009
श्याम से गर जुड़ा नहीं होता.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
puree tarah se shyaam rang me rangi kwita bahut sundar......................राधेश्याम राधेश्याम............
अहा !
Post a Comment