ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / यही मौसम वहाँ होगा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / यही मौसम वहाँ होगा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 19 जनवरी 2009

यही मौसम वहाँ होगा, यही क़िस्से वहाँ होंगे।

यही मौसम वहाँ होगा, यही क़िस्से वहाँ होंगे।

कहीं बेचैनियाँ होंगी, कहीं आतश-फिशां होंगे।

हमारी अम्न की बातें, महज़ झूठी तसल्ली हैं,

न गुज़रेंगे अगर जंगों से कैसे शादमां होंगे।

तरक्की-याफ़ता कौमों की बातों का भरोसा क्या,

अभी हमसे हैं मिलते, कल खुदा जाने कहाँ होंगे।

ख़याल इस बात का रखना भी हमको लाज़मी होगा,

वही कल होंगे दुश्मन आजके जो राज़दाँ होंगे।

हमें अंजाम भी मालूम है अक़दाम का अपने,

यहाँ कुछ खूँ-चकां होंगे, वहाँ कुछ खूँ-चकां होंगे।

.**************