किन उजालों के लिए चिंतित रहे.
कौन सा भ्रम लेके हम जीवित रहे.
***
कोई घटना हो किसी भूखंड की,
हम अकेले थे जो आरोपित रहे.
***
हर वितंडावाद में शामिल थे हम,
लाख व्यवहारों में अनुशासित रहे।
***
हम थे क्षमतावान, पर गुमनाम थे,
जिनमें कोई गुण न था, चर्चित रहे।
***
यातनाएं मुस्तक़िल देने के बाद,
देख कर हमको वो स्तंभित रहे।
***
योजनायें आये दिन बनती रहीं,
जो थे पीड़ित, आज भी पीड़ित रहे।
***
सच तो ये है कोई युग ऐसा न था,
जब सलीबों पर न हम कीलित रहे.
******************