तितली तितली दौड़ रहे हैं।
लेकर माज़ी दौड़ रहे हैं॥
लालच के बाज़ार में कब से,
कितने साथी दौड़ रहे हैं॥
आख़िर इस से हासिल क्या है,
यूँ ही ख़ाली दौड़ रहे हैं॥
घर से उठते आग के शोले,
पानी पानी ! दौड़ रहे हैं॥
माँ घर में बीमार पड़ी है,
फ़िक्र है गहरी दौड़ रहे हैं॥
आँधी का इम्कान है शायद,
पागल पंछी दौड़ रहे हैं॥
कैसे कर सकते हैं सुफ़ारिश,
जब ख़ुद हम भी दौड़ रहे हैं॥
लड़कियों की उमरें ढलती हैं,
कब हो शादी , दौड़ रहे हैं॥
शायद काम कहीं बन जाये,
कुरसी कुरसी दौड़ रहे हैं॥
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