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शनिवार, 1 नवंबर 2008

और कितना अभी बदनाम करोगे उसको.

और कितना अभी बदनाम करोगे उसको.
कितने इल्ज़ाम हैं बाक़ी जो मढोगे उसको.
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वो है खामोश अभी खस्ता किताबों की तरह.
वक़्त आयेगा कि जब रोज़ पढोगे उसको.
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बारहा उसने भी इस घर की हिफाज़त की है,
संगदिल हो! कोई इनआम न दोगे उसको.
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मुझको खतरा है कहीं वो भी न तुम सा हो जाय,
यूँ ही गर रोज़ शिकंजों में कसोगे उसको.
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प्यार से मिल के तो देखो वो नहीं ऐसा बुरा,
पास जाओगे जभी जान सकोगे उसको.
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गुफ्तुगू होगी जो बाहम तो बनेगा माहौल,
कुछ सुनाओगे उसे और सुनोगे उसको.
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