बुधवार, 17 मार्च 2010

दयारे-इश्क़ जुनूँ-साज़ है हमारे लिए

दयारे-इश्क़ जुनूँ-साज़ है हमारे लिए।
ग़ज़ल ज़मीर की आवाज़ है हमारे लिए॥
ये ख़ुश-अदाई का अन्दाज़ है हमारे लिए।
वो इक मुजस्समए-नाज़ है हमारे लिए॥
कभी न हो सका तनहाइयों का हमको गिला,
वो दिलनशीन है, हमराज़ है हमारे लिए॥
चलो के धूप के टुकड़े समेट लें चल कर,
के उनकी सारी तगोताज़ है हमारे लिए॥
कहीं किसी को शबोरोज़ की हमारे है फ़िक्र,
कोई तो है के जो ग़म्माज़ है हमारे लिए॥
हमें बलन्दियाँ अफ़लाक की नसीब कहाँ,
गिरफ़्ते-पँजए-शहबाज़ है हमारे लिए॥
ख़ुदा का शुक्र है ज़िन्दा हैं ऐसे वक़्तों में,
हमारा जीना भी एजाज़ है हमारे लिए॥
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