गुरुवार, 25 मार्च 2010

ज़मीनें दूसरों पर तंग करना उसका शेवा है

ज़मीनें दूसरों पर तंग करना उसका शेवा है।
हमें कमज़ोर पाकर जंग करना उसका शेवा है॥

हम अपनी छोटी सी दुनिया में भी ख़ुश रह नहीं पाते,
हमारी ज़िन्दगी बदरंग करना उसका शेवा है॥

अज़ीयत में किसी को देखना है मशगला उसका,
दिले-इन्सानियत को नंग करना उसका शेवा है॥

जहाँसाज़ी में है उसको महारत इस क़दर हासिल,
मुख़ालिफ़ को भी हम आहंग करना उसका शेवा है॥

बना देता है वो अदना मसाएल को भी पेचीदा,
ज़रा सी बात को ख़रसग करना उसका शेवा है॥
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1 टिप्पणी:

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।