बुधवार, 7 अप्रैल 2010
नक्सलीयत की ये ख़ूँरेज़ियाँ क्या चाहती हैं
मंगलवार, 6 अप्रैल 2010
घने कुहरे में बीनाई भी हो जाती है लायानी / گھنے کہرے میں بِینائی بھی ہو جاتی ہے لا یعنی
भीड़ में रास्ता बनाते रहे / بھیڑ میں راستہ بناتے رھے
सोमवार, 5 अप्रैल 2010
सच तो ये है के हुए पल के जवाँ जन्नत में॥
हम ने तनहाई को नेमत समझा
बत्ने-मादर से ही बे-नूर हुआ था पैदा
बत्ने-मादर=माँ के पेट । बेनूर=अंधा । हक़=सत्य । तहे-तेग़=तलवार के नीचे रखना/क़त्ल कर देना । क़ल्बे मूसा=मूसा के हृदय [हज़रत मूसा यहूदियों और मुसल्मानों के नबी हैं।तूर नामक पहाड़ पर उन्होंने अल्लाह को देखने की इच्छ व्यक्त की और जब वहा>ण एक प्रकाश फूटा [तजल्ली] तो वो उसे बर्दाश्त न कर सके और मूर्च्छित हो गये]। दिले-रजूर=दुखी हृदय । अर्श=अल्लाह का सिंहासन ।