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गुरुवार, 29 जनवरी 2009

देखिये पढ़कर 'उपनिषद', सारगर्भित हैं विचार.

देखिये पढ़कर 'उपनिषद', सारगर्भित हैं विचार.
दार्शनिकता की नहीं है थाह, मंथित हैं विचार.
खो गया मैं जब कभी 'कुरआन' की आयात में,
मैं ने पाया विश्व के हित में समाहित हैं विचार.
हर कोई, आसाँ नहीं, समझे ऋचाएं 'वेद' की,
हैं निहित गूढार्थ, चिंतन से सुवासित हैं विचार.
शीश विघ्नों का उड़ा देने में है 'गीता' का मर्म,
न्याय की ही खोज में सब आंदोलित हैं विचार.
साधना के सार से संतों ने सींचा 'आदि-ग्रन्थ',
सार्थक समभाव से सारे समर्थित हैं विचार.
बाइबिल में हैं दया, करुणा, अहिंसा सब मुखर,
मानवी संवेदनाओं के व्यवस्थित हैं विचार.
मैं चकित हूँ ज्ञान का भण्डार हों जिस देश में,
उसके बाशिंदों के क्यों संकीर्ण-सीमित हैं विचार.
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