नज़्म / ख़ुदा का पहिया / शेल सिल्वरस्टीन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
नज़्म / ख़ुदा का पहिया / शेल सिल्वरस्टीन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

ख़ुदा का पहिया / शेल सिल्वरस्टीन / तर्जुमा : ज़ैदी जाफ़र रज़ा

ख़ुदा का पहिया

मुहब्बत आमेज़ मुस्कुराहट के साथ मुझसे

ख़ुदा ने पूछा था

चन्द लमहों को तुम ख़ुदा बन के

इस जहाँ को चलाना चाहोगे ?

मैंने हाँ ठीक है मैं कोशिश करूंगा कहकर

ख़ुदा से पूछा था

किस जगह बैठना है ?

तनख़्वाह क्या मिलेगी ?

रहेंगे अवक़ात लच के क्या ?

मिलेगी कब काम से फ़राग़त ?

ख़ुदा ने मुझसे कहा

के लौटा दो मेरा पहिया,

समझ गया मैं

के तुम अभी अच्छी तर्ह

तैयार ही नहीं हो।"

**********