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शनिवार, 17 जनवरी 2009

मक़सद इस दुनिया में आने का है क्या, पूछूं कहाँ.

मक़सद इस दुनिया में आने का है क्या, पूछूं कहाँ.
ज़िन्दगी की चाह इतनी क्यों है, ये समझूँ कहाँ.
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क्या तअल्लुक़ है मेरा, क्यों क़ैद हूँ इस जिस्म में,
देखना चाहूँ अगर खुदको तो मैं देखूं कहाँ.
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जानता हूँ नफ़्स का महकूम है अज़वे-बदन
नफ़्स है महकूम किसका, राज़ ये पाऊं कहाँ.
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मैं जिसे कहते हैं क्या उसकी भी कोई शक्ल है,
कुछ समझ पाता नहीं, इस मैं को मैं ढूँढूं कहाँ.
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इस जहाँ में किस कदर अदना सा है मेरा वुजूद,
मैं हिफाज़त इसकी करना चाहूँ तो रक्खूं कहाँ.
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निस्फ़ हिस्सा मेरा कहलाया अगर सिन्फे-लतीफ़,
मैं मुकम्मल क्यों नहीं पैदा हुआ, जानूँ कहाँ.
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मक़सद=उद्देश्य. तअल्लुक़=सम्बन्ध. नफ़्स=आत्मा। महकूम=अधीन/पाबन्द/आदेशित। अज़वे-बदन=शारीरिक अवयव. राज़=रहस्य. अदना=तुच्छ. निस्फ़ हिस्सा=अर्ध-भाग. सिंफे-लतीफ़=नारी. मुकम्मल=सम्पूर्ण.