ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा/ तुम्हारा दिल मैं लेकर जा रहा हूँ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

तुम्हारा दिल मैं लेकर जा रहा हूँ कुछ ख़बर भी है

ये ग़ज़ल प्रसिद्ध अमेरीकी कवि ई ई कम्मिंग्स [14 अक्तूबर 1894-3 सितंबर 1962] की सुविख्यात नज़्म "आइ कैरी योर हार्ट विद मी" को केन्द्र में रख कर कही गयी है। कम्मिंग्स जो एस्टलिन के नाम से पुकारे जाते थे प्रोफ़ेसर एडवर्डऔर रेबेका के बेटे थे और कैम्ब्रिज में जन्मे थे।कवि होने के अतिरिक्त वो एक अच्छे पेन्टर, निबंध लेखक और नाटक कार भी थे। उन्होंने 2900 के लगभग कविताएं लिखीं।
ग़ज़ल
तुम्हारा दिल मैं लेकर जा रहा हूँ कुछ ख़बर भी है।
बग़ैर उसके मेरी ये ज़िन्दगी दुश्वार-तर भी है॥

करूँगा जो भी मैं, शिरकत तुम्हारी लाज़मी होगी,
के इस सूरत से कुछ करना बहोत ही मोतबर भी है॥

नहीं कुछ ख़ौफ़ मुझ को अब मुक़द्दर की शरारत का,
के तुम तक़दीर हो मेरी तुम्ही से मेरा घर भी है ॥

नहीं रखता किसी दुनिया की अब मैं कोई भी हाजत,
के तुम दुनिया हो मेरी तुमसे दुनिया का समर भी है॥

फ़लक के चान्द में ये ख़ूबियाँ हरगिज़ नहीं होतीं,
के तुमसे दिल भी रौशन है मताए-ख़ुश्को-तर भी है॥

वो नग़मा जिस को सूरज की ज़बाँ से सुनता आया हूं,
वो नग़म तुम हो, तुमसे साज़े-क़ल्बे बा-हुनर भी है॥

ये बातें राज़ की हैं जानता कोई नहीं इनको,
के तुम हो तो वुजूदे-नफ़्स का मुझमें शजर भी है॥
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