ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / शाख़ से फल की तरह लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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मंगलवार, 24 नवंबर 2009

शाख़ से फल की तरह पक के टपक जायेंगे

शाख़ से फल की तरह पक के टपक जायेंगे ।
इतनी तारीफ़ करोगे तो बहक जायेंगे ॥

फ़र्श पर रहते हुए अर्श पे उड़ते हैं फ़ुज़ूल ,
रोक लो अपने देमाग़ों को भटक जायेंगे ॥

कब हमें बाहमी रिश्तों पे भरोसा होगा ,
कब दिलों में हैं जो बैठे हुए शक जायेंगे ॥

घुट के रह जायेगी सीनों में सदाए-फ़रियाद,
अब ये नाले न कभी ता-बः-फ़लक जायेंगे ॥

क्या ख़बर थी कभी हालात के ज़ख़्मों पे नमक,
वक़्त के हाथ ख़मोशी से छिड़क जायेंगे ॥
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