ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / तुम्हारे दिल में हैं लेकिन लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

तुम्हारे दिल में हैं लेकिन शरीके-ग़म हैं वहाँ

तुम्हारे दिल में हैं लेकिन शरीके-ग़म हैं वहाँ ।
उपनिषदों में तलाशो हमें के हम हैं वहाँ ॥

बलंदियाँ वो जिन्हें पाने की तमम्ना है।
हमारे जैसों के कितने ही सर क़लम हैं वहाँ ॥

न तुम से पार कभी होगा इश्क़ का दरिया।
के तश्नालब कई गिर्दाबे-चश्मे-नम हैं वहाँ॥

वो जंगलात जहाँ क़ैस का बसेरा है,
वहाँ न जाना, हज़ारों ही पेचो-ख़म हैं वहाँ॥

तलाश जारी है सी मुर्ग़ की परिन्दों में,
ये जानते हुए ख़तरात दम-ब-दम हैं वहाँ॥

बशर के रिश्ते से मेराजे-अब्दहू हैं हम,
रुबूबियत है जहाँ मिस्ले-नूर ज़म हैं वहाँ॥