गुरुवार, 6 नवंबर 2008

मैं सवालों से घिरा था, और लब खामोश थे.

मैं सवालों से घिरा था, और लब खामोश थे.
जिंदगी ठहरी हुई थी, रोजो-शब खामोश थे.
*******
उसके मयखाने का जाने कैसा ये दस्तूर था,
जाम रिन्दों के थे खाली, फिर भी सब खामोश थे.
*******
शख्सियत उसकी थी कुछ ऐसी कि उसके सामने,
बुत की सूरत सब खड़े थे बा-अदब, खामोश थे.
*******
ऐसे बे-हिस भी न थे हम, हाँ बहोत मजबूर थे,
जाने क्यों लोगों ने समझा बे-सबब खामोश थे.
*******
हमको ऊंची ज़ात वालों ने कुचल कर रख दिया,
लब हिला सकते न थे, बेबस थे, जब खामोश थे.
*******
चाँदनी के रक्से-बिस्मिल पर था मैं हैरत-ज़दा,
लालओ-गुल देखकर ऐसा गज़ब, खामोश थे.
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2 टिप्‍पणियां:

  1. मैं सवालों से घिरा था, और लब खामोश थे.
    जिंदगी ठहरी हुई थी, रोजो-शब खामोश थे.
    *******
    उसके मयखाने का जाने कैसा ये दस्तूर था,
    जाम रिन्दों के थे खाली, फिर भी सब खामोश थे.
    *******
    शख्सियत उसकी थी कुछ ऐसी कि उसके सामने,
    बुत की सूरत हम खड़े थे बा-अदब, खामोश थे.


    बहुत ख़ूब...

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  2. मैं सवालों से घिरा था, और लब खामोश थे.
    जिंदगी ठहरी हुई थी, रोजो-शब खामोश थे.
    *******
    उसके मयखाने का जाने कैसा ये दस्तूर था,
    जाम रिन्दों के थे खाली, फिर भी सब खामोश थे.
    *******
    शख्सियत उसकी थी कुछ ऐसी कि उसके सामने,
    बुत की सूरत हम खड़े थे बा-अदब, खामोश थे.
    *******
    ऐसे बे-हिस भी न थे हम, हाँ बहोत मजबूर थे,
    जाने क्यों लोगों ने समझा बे-सबब खामोश थे
    ********
    हमको ऊंची ज़ात वालों ने कुचल कर रख दिया,
    लब हिला सकते न थे, बेबस थे, जब खामोश थे.
    *******
    चाँदनी के रक्से-बिस्मिल पर था मैं हैरत-ज़दा,
    लालओ-गुल देखकर ऐसा गज़ब, खामोश थे.

    जब तलक खामोश थे तेरे लब,
    तेरी खामोशी बयां करती थी ,
    तेरे जज्बात की गहराई को ,
    सजदे का माहौल था मयखाने में |
    तौबा-तौबा,टूटना तेरी खामोशी का,
    ?????????????????????
    "हमको ऊंची ज़ात वालों ने कुचल कर रख दिया,
    लब हिला सकते न थे, बेबस थे, जब खामोश थे
    [img]http://img145.echo.cx/img145/1536/sc0734ig.gif[/img]

    सिलसिले को तो याद रखा करो अगरचे किसी की शख्शियत से बा अदब हो कर खामोश हैं तो फ़िर किसी पर इल्जाम कैसा ?

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