युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

हिन्दी ग़ज़ल / शैलेश ज़ैदी / खीज से जन्मे हुए लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
हिन्दी ग़ज़ल / शैलेश ज़ैदी / खीज से जन्मे हुए लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
बुधवार, 12 मई 2010

खीज से जन्मे हुए शब्दों को जब भी तोलें

›
खीज से जन्मे हुए शब्दों को जब भी तोलें। झिड़कियाँ माँ की मेरे कानों में अमृत घोलें॥ देखें बचपन की उन आज़ादियों की तस्वीरें, बैठें जब साथ अती...
3 टिप्‍पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
Blogger द्वारा संचालित.