युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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गुरुवार, 25 जून 2009

भँवरे, तितली, मधुमक्खी सब अपनी धुन में मस्त रहे.

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भँवरे, तितली, मधुमक्खी सब अपनी धुन में मस्त रहे. हम उद्देश्य रहित थे, भटके एकाकी, संत्रस्त रहे. पुरवाई की शीतलता से रहे अपरिचित सारी उम्र, ल...
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