युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल : शैलेश ज़ैदी : किस दिशा में लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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सोमवार, 15 दिसंबर 2008

किस दिशा में जा रहे हैं हम, पता हमको नहीं.

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किस दिशा में जा रहे हैं हम, पता हमको नहीं. राह कैसी है, समय कहता है ये पूछो नहीं. ******* डगमगाएं पाँव तो, अच्छा है घर में ही रहो, चल पडो तो...
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