युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / ज़र्द पत्ते की तरह लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / ज़र्द पत्ते की तरह लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सोमवार, 2 मार्च 2009

ज़र्द पत्ते की तरह चेहरे पे मायूसी लिए.

›
ज़र्द पत्ते की तरह चेहरे पे मायूसी लिए. जीस्त की राहों से गुज़रे लोग नासमझी लिए. क्या हुआ फूलों को आखिर क्यों हैं सबख़ामोश लब, रतजगे रुख़सार ...
3 टिप्‍पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
Blogger द्वारा संचालित.