युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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रविवार, 11 जनवरी 2009

शोक की मनःस्थिति, मांगती है संवेदन.

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शोक की मनःस्थिति, मांगती है संवेदन. आंसुओं की पीड़ा को, समझेंगे न दुह्शासन. ***** सब दुखों की गहराई, नापते हैं शब्दों से, कोई सुन नहीं पाता,...
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