युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / शैलेश ज़ैदी / वो अपने लाल को लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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गुरुवार, 25 दिसंबर 2008

वो अपने लाल को गेहूं के बदले बेच देते हैं.

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वो अपने लाल को गेहूं के बदले बेच देते हैं. पड़ी हो जान पर तो सारे रिश्ते बेच देते हैं. ******* ये कैसी भूख है जो आत्मा को मार देती है, चुराकर...
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