युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा / मैं मुसाफ़िर हूं लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

मैं मुसाफ़िर हूं ठहरने के लिए वक़्त कहाँ

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मैं मुसाफ़िर हूं ठहरने के लिए वक़्त कहाँ। इस बियाबान में मरने के लिए वक़्त कहाँ॥ सारा सहरा है मेरे साथ सफ़र में मसरूफ़, शह्र से हो के गुज़रन...
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