गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

हवा है तेज़ बहोत राह चलना मुश्किल है

हवा है तेज़ बहोत राह चलना मुश्किल है।
फ़िज़ा में आग है घर से निकलना मुश्किल है॥

अंधेरे आँखों की पुतली से माँगते हैं जगह,
उजालों के लिए पहलू बदलना मुश्किल है॥

हमारी क़दरें नयी नस्ल को पसन्द नहीं,
हमारा अब नये साँचे में ढलना मुश्किल है॥

हरेक दिल में है बाज़ार के तिलिस्म का साँप,
हज़ारों सर हैं हरेक सर कुचलना मुश्किल है॥

वो संग-दिल ही सही फ़िक्र मेरी रखता है,
मैं कैसे मान लूँ उसका पिघलना मुश्किल है॥

हमारे शह्र में ताज़ा हवा कहीं भी नहीं,
तुम्हारे साथ हमारा टहलना मुश्किल है॥
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1 टिप्पणी:

  1. वो संग-दिल ही सही फ़िक्र मेरी रखता है,
    मैं कैसे मान लूँ उसका पिघलना मुश्किल है॥
    good work......

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