काटा गया दरख्त, कलेजा सिमट गया.
आरे से कट के, सर भी, दो टुकडों में बंट गया [1]
दिखलाई दी शजर की हरी पत्तियों में आग,
जब गुफ्तुगू हुई, तो जो परदा था हट गया.[2]
फेंका गया जो दरिया में, मछली निगल गई,
जिंदा रहा, हयात की जानिब पलट गया. [3]
फ़ौलाद उसकी उँगलियों के सामने था मोम,
मोडा जहाँ से चाहा, जहाँ चाहा कट गया. [4]
कूएँ में फेका उसको, हसद भाइयों को थी,
पायी ख़बर जो बाप ने, सीना ही फट गया. [5]
गायब जो हो चुकी थी, वो बीनाई आ गई,
बेटे का कुरता आंखों से जिसदम लिपट गया. [6]
शोले दहकती आग के सब फूल बन गए,
बातिल परस्त ताक़तों का ज़ोर घट गया. [7]
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विशेष : श्रीप्रद कुरआन में नबियों से सम्बद्ध जो कथाएँ उपलब्ध हैं, उन्हें अलग-अलग शेरों में संदर्भित किया गया है. [1] हज़रत ज़कारिया [2] हज़रत मूसा [3] हज़रत युनुस [4] हज़रत दाऊद [5] तथा [6] हज़रत याकूब और उनके बेटे हज़रत युसूफ [7] हज़रत इब्राहिम [अ.]
युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.
फेंका गया जो दरिया में, मछली निगल गई,
जवाब देंहटाएंजिंदा रहा, हयात की जानिब पलट गया.
-बहुत बेहतरीन!!