मुझको शिकस्ते-दिल का मज़ा याद आ गया.
तुम क्यों उदास हो तुम्हें क्या याद आ गया.
कहने को ज़िन्दगी थी बहोत मुख्तसर मगर,
कुछ यूँ बसर हुई कि खुदा याद आ गया.
वाइज़ सलाम लेके चला मैकदे को मैं,
फिर्दौसे-गुमशुदा का पता याद आ गया.
बरसे बगैर ही जो घटा घिर के खुल गई,
एक बेवफा का अहदे-वफ़ा याद आ गया.
मांगेंगे अब दुआ कि उसे भूल जाएँ हम,
लेकिन जो वो बवक़्ते-दुआ याद आ गया.
हैरत है तुमको देख के मस्जिद में ऐ खुमार,
क्या बात हो गई जो खुदा याद आ गया.
*********************
युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.
बरसे बगैर ही जो घटा घिर के खुल गई,
जवाब देंहटाएंएक बेवफा का अहदे-वफ़ा याद आ गया.
मांगेंगे अब दुआ कि उसे भूल जाएँ हम,
लेकिन जो वो बवक़्ते-दुआ याद आ गया.
बहुत खूब.
@हैरत है तुमको देख के मस्जिद में ऐ खुमार, क्या बात हो गई जो खुदा याद आ गया.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब. चलिए किसी कारण से भी सही, खुदा याद तो आया.