युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.
रविवार, 31 अगस्त 2008
पिछड़ा आदमी / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
जब सब बोलते थे वह चुप रहता था, जब सब चलते थे वह पीछे हो जाता था, जब सब खाने पर टूटते थे वह अलग बैठा टूंगता रहता था, जब सब निढाल हो सोते थे वह शून्य में टकटकी लगाये रहता था, लेकिन जब गोली चली तब सबसे पहले वाही मारा गया. *******************
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