युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.
बुधवार, 30 जुलाई 2008
वक़्त के हाथ बहोत लंबे हैं / ज़ैदी जाफ़र रज़ा
चाँद सितारों की मईयत को सूरज के ताबूत में रख कर शाम के सूने कब्रिस्तान में गाड़ आते हैं वक़्त के हाथ बहोत लंबे हैं *********************
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