युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

बुधवार, 14 अप्रैल 2010

फ़िज़ा में आइनों के अक्स जब दम तोड़ देते हैं

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फ़िज़ा में आइनों के अक्स जब दम तोड़ देते हैं। रुपहले ख़्वाब सब थक हार कर हम तोड़ देते हैं॥ लिए मजबूरियाँ हम दर-ब-दर फिरते हैं बस्ती में, कभी...
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मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

अल्ताफ़ हुसैन हाली और हयाते-जावेद / प्रो0 शैलेश ज़ैदी

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अल्ताफ़ हुसैन हाली और हयाते-जावेद [हिन्दी अनुवाद] अल्ताफ़ हुसैन हाली [1837-1914] उर्दू के उन प्रख्यात साहित्यकारों में हैं जिन्होंने कविता...

हो चुकी हैं राख जलकर बस्तियाँ ऐसी भी हैं

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हो चुकी हैं राख जलकर, बस्तियाँ ऐसी भी हैं। आँख हो जाती हैं नम महरूमियाँ ऐसी भी हैं॥ झीने आँचल में समेटें धूप ये मुम्किन नहीं, बर्फ़ सी चुभती...

उम्र के इस मोड़ पर तुझ से तमन्ना क्या करें

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उम्र के इस मोड़ पर तुझ से तमन्ना क्या करें। सामने आँखों के हो तू और बस देखा करें॥ परवरिश करते रहे अपनों की हासिल क्या हुआ, अब यही बेहतर है ...
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सोमवार, 12 अप्रैल 2010

ब्लाग की दुनिया है कितनी ख़ुश-नसीब

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ब्लाग की दुनिया है कितनी ख़ुश-नसीब। हो गये यकजा सभी लेखक-अदीब्॥ आ गये इस में सियासत दान भी। हो गये जारी नये फ़र्मान भी॥ फ़िल्म वाले कैसे रह ...

कल्पना माँ की मैं कर लेता हूं

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कल्पना माँ की मैं कर लेता हूं। ज़िन्दगी फूलों से भर लेता हूं॥ कैसी चिन्ताएं हैं कैसा दुख है, कुछ ज़रा दिल की ख़बर लेता हूं॥ जब घनी धूप से घब...

उल्झनें मन में अगर हैं तो समस्याएं हैं।

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उल्झनें मन में अगर हैं तो समस्याएं हैं। अन्यथा जीने में सौ तर्ह की सुविधाएं हैं॥ आस्थाओं में भी शायद कहीं स्थैर्य नहीं, कभी विश्वास है मन मे...
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रविवार, 11 अप्रैल 2010

युगीन वातायनों में किसका समय मुखर है / یگین واتا ینون میں کس کا سمے مکھر ہے

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युगीन वातायनों में किसका समय मुखर है। कोई तो है आज जिसकी चर्चा शिखर-शिखर है॥ हरी-हरी पत्तियाँ कहीं उग रही हों जैसे, विपन्नताओं से मुक्त मन क...

निशा नीरव भी है निस्पन्द भी है / نشا نیرو بھی ہے نسپند بھی ہے

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निशा नीरव भी है निस्पन्द भी है। कि मन स्थिर भी है निर्द्वन्द भी है॥ वो मनमानी भी कर लेता है अक्सर, वो मर्यादाओं का पाबन्द भी है॥ समय ठहरा न...
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खो जाता है मन क्यों बाल कथाओं में

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खो जाता है मन क्यों बाल कथाओं में। जादू सा है कथा सुनाती माओं में॥ परियों की संगत में उड़ता रहता हूं, पंख से जुड़ जाते हैं मेरे पाओं में॥ उड...
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