युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

सोमवार, 8 सितंबर 2008

मैं तन्हा हूँ, नहीं भी हूँ.

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मैं तनहा हूँ , नहीं भी हूँ के मेरा ज़हन खाली एक पल को भी नहीं रहता न जाने किन खयालों के सफरनामे हमेशा सामने रहते हैं जिनको पढता रहता हूँ. सम...
रविवार, 7 सितंबर 2008

तुझे भी लौट के जाना है / कमलेश भट्ट 'कमल'

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तुझे भी लौटके जाना है दूर घर अपने। संभल के खोल ज़रा आँधियों में पर अपने। जुलूस में तू अगर साथ भी न आ पाये, जहाँ भी है तू वहीं से मिला दे स्व...
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गली के मोड़ पर है धूप / विष्णु स्वरुप त्रिपाठी

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गली के मोड़ पर है धूप नज़रें तो ज़रा डालें। चलें चलकर वहाँ सीलन भरे सपने सुखा डालें। बना सकते नहीं जो झोंपड़ों पर फूस के छप्पर , वही नारे लगा...
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शनिवार, 6 सितंबर 2008

दो-चार पल ही गुज़रे थे

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वैंगाफ की प्रसिद्ध पेंटिंग दो-चार पल ही गुज़रे थे सम्बन्धियों के साथ. उठना पड़ा वहाँ से हमें तल्खियों के साथ. ये कैसी आंधियां थीं कि सब कुछ ...
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शबनम की एक बूँद

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ये ज़िन्दगी भी हो गई, शबनम की एक बूँद. होते ही सुब्ह खो गई, शबनम की एक बूँद. होकर फ़िदा गुलों के जवाँ-साल जिस्म पर, मोती सा कुछ पिरो गई, शब...
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ये पायल की झंकार / सुनील वाजपेयी

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ये पायल की झंकार खरीदोगे ? या तन का मधुमय सार खरीदोगे ? बोलो-बोलो मेरी काया के दीवानों, माटी का ये संसार खरीदोगे ? भूखे पेटों का प्यार खरीदो...
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शुक्रवार, 5 सितंबर 2008

समंदर और साहिल / ज़ैदी जाफ़र रज़ा

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बहोत उदास सा, मगमूम सा ये मंज़र है दरख्त ऐसे खड़े हैं खमोश, गोया इन्हें कहीं खलाओं में पोशीदा, तेज़ तूफाँ के ज़मीं पे आके तबाही मचाने का डर है...
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दूध जैसा झाग / हसन अकबर कमाल

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दूध जैसा झाग, लहरें, रेत, प्यारी सीपियाँ। कैसा चुनती फिर रही हैं मोतियों सी लड़कियाँ। बाग़ में बच्चों के गिर्दो-पेश मंडलाती हैं यूँ जैसे अपन...
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वो अपरिचित भी नहीं है / शैलेश ज़ैदी

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वो अपरिचित भी नहीं है और परिचित भी नहीं। जानता हूँ मैं उसे, पर हूँ सुनिश्चित भी नहीं। उसने भिजवाई थी मुझको सूचना, घर आएगा, कैसे मैं स्वागत क...

जय हिन्दी, जय देवनागरी /मगन अवस्थी

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दो शब्द : आज हिन्दी दिवस की क्या उपयोगिता रह गई है, यह एक अलग प्रश्न है। किंतु हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि के अनेक प्रेमी ऐसे हैं जो आज भी...
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