युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

Ghazal / Zaidi jafar Raza / इबारतों में तसलसुल लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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रविवार, 21 जून 2009

इबारतों में तसलसुल कहीं नहीं होता.

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इबारतों में तसलसुल कहीं नहीं होता. शऊरो-फ़िक्र को खुद पर यकीं नहीं होता. असर-पज़ीर न होगा वो ज़लज़ले की तरह, जो इन्क़लाब के ज़ेरे-ज़मीं नहीं हो...
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