युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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गुरुवार, 21 जनवरी 2010

ज़ैदी जाफ़र रज़ा की दो नज़्में

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1- यक़ीन हवाएं लाई हैं कसरत से पत्तियाँ हमराह, बिछा रही हैं जिन्हें वो तमाम राहों में, हरेक सम्त जिधर भी उठा रहा हूं निगाह, सिवाय पत्तियो...
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