युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

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गुरुवार, 13 मार्च 2008

राही मासूम रज़ा की याद में (नज़्म)

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तुम्हारा नाम दर्सगाह के वरक-वरक पे है, मगर तुम्हारे दौर की, सभी इबारतें हैं आज अजनबी। कि इन इबारतों के आज , राज़दां नहीं रहे , खुलूस की रिव...
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