युग-विमर्श (YUG -VIMARSH) یگ ومرش

युग-विमर्श हिन्दी उर्दू की साहित्यिक विचारधारा के विभिन्न आयामों को परस्पर जोड़ने और उन्हें एक सर्जनात्मक दिशा देने का प्रयास है.इसमें युवा पीढ़ी की विशेष भूमिका अपेक्षित है.आप अपनी सशक्त रचनाएं प्रकाशनार्थ भेज सकते हैं.

ग़ज़ल हाफ़िज़ शीराज़ी [रूपांतर] ज़ैदी जाफ़र रज़ा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
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रविवार, 22 फ़रवरी 2009

शोर मैं कैसा, ये ऐ दौरे-क़मर! देखता हूँ.

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फ़ारसी साहित्य के प्रख्यात कवि हाफिज़ शीराजी ने अपने समय के मूल्य-परक परिवर्तनों को जिस रूप में एक ग़ज़ल में [ईं चि शोरीस्त की दर दौरि-क़मर म...
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